राज्य के सेल टैक्स अधिकारियों की मिलीभगत से जीएसटी की हो रही चोरी, ट्रांसपोर्टर से सांठगांठ कर चला रहे सिंडिकेट, राज्य व केंद्र को हो रहा करोड़ों रुपए का नुकसान
रायपुर 29 जून, 2025। राज्य में धड़ल्ले से जीएसटी की चोरी की चोरी हो रही है। ये सब हो रहा है जीएसटी विभाग की सांठगांठ से। हमारे न्यूजरुम ने तीन महीने तक मामले की पड़ताल की। 20 से ज्यादा गाड़ी ड्राइवर, ट्रांसपोर्टर, ट्रेडर से व्यापारी बनकर मिले। उनकी वर्किंग को समझा। ऐसी कंपनियों को ट्रेस किया जो ई-वे बिल जनरेट तो कर रहे थे। लेकिन इस्तेमाल बोगस तरीके से हो रहा था। टीम को ऐसी फर्म भी मिली। हमने गाड़ियों की लोडिंग औऱ अनलोडिंग प्वाइंट को मैच किया। जो कि बिल के बताए डिटेल से मैच नहीं करता। ऐसी गाड़ियों को भी ट्रेस किया जो एक ही बिल से कई ट्रिप गाड़ी पार कर रहे थे। इसके सबूत जुटाए। जहां जरूरी लगा, वहां इन्हें रिकॉर्ड किया। इसमें बड़े चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात कि इस पूरे खेल को विभाग से ही ऑपरेट किया जा रहा है। बड़े अधिकारी इसमें शामिल हैं। जो इसके सबसे हाइएस्ट प्वाइंट या ऑपरेटिंग प्वाइंट पर बैठे हैं, वे विभाग के महत्वपूर्ण अधिकारी हैं। विभाग में इनका काफी दबदबा है। और जल्द रिटायर होने वाले हैं। लेकिन चर्चा है कि इन्होंने अपने एक्सटेंशन का आवेदन दे रखा है। इन्होंने सिंडिकेट में शामिल व्यापारियों को बता रखा है कि चिंता न करें, क्योंकि एक्सटेंशन मिलने के बाद वे इसी पोजीशन पर रहेंगे। औऱ सिंडिकेट चलता रहेगा।
ये पूरा कारोबार हजारों या लाखों रुपए का नहीं बल्कि करोड़ों का है। सिंडिकेट में शामिल अफसरों-कर्मचारियों के पास वाट्सएप पर गाड़ियों के नंबर पहले से आ जाते हैं। इनके निर्देश पर इन गाड़ियों की चेकिंग नहीं की जाती। इसी पैटर्न पर पूरे सिस्टम को ऑपरेट किया जाता है। पड़ताल में ये बात सामने आई कि अधिकांश ट्रांसपोर्टर एंमपी के हैं। सांठगांठ ऐसी है कि कौन सी गाड़ी को रोकना है, और कौन सी गाड़ी को नहीं रोकना है ये पहले से तय रहता है। जिला स्तर के अधिकारियों को रायपुर में बैठे अधिकारी इससे संबंधित जरूरी निर्देश देते हैं। इसके बदले में एक निश्चित रकम वसूली जाती है। जो पूरे महकमे में सिंडिकेट से जुड़े लोगों को बांटा जाता है।
दिल्ली का बिल लेकिन माल रास्ते में ही खाली करवा रहे हैं ट्रांसपोर्ट्रर्स
सांठगांठ में शामिल ये गाड़ियां कवर्धा से होकर दिल्ली के लिए निकलती है। लेकिन मंडला, सागर, जबलपुर में खाली कर ली जाती है। बिल 6 दिन वैध होता है। एक ही बिल पर 3 बार ट्रांसपोर्टिंग कर ली जाती है। बाद में माल को रिजेक्ट भी बताया जाता है। इससे जीएसटी की प्रोसेस रिवर्स हो जाती है।
प्रदेश के दो रूट पर सबसे ज्यादा टैक्स चोरी की गाड़ियां पार हो रहीं
प्रदेश में कवर्धा और नागपुर रूट पर सबसे ज्यादा गाड़ियां पार की जा रही हैं। बताया जा रहा है कि इसमें से अधिकांश माल लोहे से जुड़ा हुआ है। ये सिलतरा और उरला की फैक्ट्रियों से लोड होता है। इसे रात के समय पार कराया जाता है। जिले के अधिकारी स्वयं इसमें मदद करते हैं। पड़ताल में ये जानकारी सामने आई है।
ये गाड़ियां बार-बार बिना बिल के स्टेट बॉर्डर को क्रॉस कर रही है..
एमपी20एचबी5471, एमपी53एचए1623, एमपी20एचबी5747, एमपी20एचबी6341, एमपी28एच1312, एमपी09एचएच4665 गाड़ियों को संवाददाता ने स्कैन किया। ये गाड़ियां लोहे की फैक्ट्री से निकलकर एमपी पार कर रही हैं। विभाग में चेक करवाने पर पता चला कि इसका ई-वे बिल जारी नहीं हुआ है। इसी से शक हुआ। लोकल अधिकारियों से बात की तो उन्होंने दबी जबान में बताया कि इसे विभाग के ही साहब लोग चला रहे हैं। हम भी उसी विभाग के हैं। इससे ज्यादा नहीं बता सकते।
विभाग के ध्रुव, पटेल, और वर्मा सरनेम से आता है फोन
सारा ऑपरेटिव खेल जिला स्तर के अफसर कर रहे हैं। लेकिन इन्हें निर्देश रायपुर की शह पर मिलता है। इसमें विभाग के अधिकारी शामिल हैं। जब टीम ने ट्रासपोर्टर्स और व्यापारियों से बात की तो किसी ध्रुव नाम के व्यक्ति का उल्लेख बार-बार सामने आया है। इनके साथ ही पटेल और वर्मा सरनेम से फोन आने की बात भी सामने आई है।
भिलाई-रायपुर की फर्म से बिल जारी
टीम को कुछ बिल ऐसे मिले जो दिल्ली के लिए काटे गए थे। ये बिल जय भवानी ट्रेडर्स, विष्णु ट्रेडर्स, भारत ट्रेडर्स नामक फर्मों से जारी हुए हैं। हमने विभाग से पूछताछ की तो एक अधिकारी ने बताया कि जेसी स्तर के अधिकारी की स्वीकृति इसमें लगती है। बिल सही है या नहीं, उसे उसी स्तर पर ठीक से वेरीफाई करना संभव है। जबकि निचली टीम को बिल वैलिड लगेगा। इस लूपहोल का फायदा ये सिंडिकेट उठा रहा है।
600 रुपए टन है रेट
लोहे के सामानों में रेट 600 रुपए टन है। ट्रक में माल कितना भी हो, इसी हिसाब से रेट बंधा हुआ है। लगभग 20 प्रतिशत गाड़ियां इस लीकेज पर चल रही हैं। जानकारी के मुताबिक औसतन 100 गाड़ियां चलाई जा रही हैं। रायपुर-भिलाई में लोहे के बड़े ट्रेडर्स हैं। इन्हें इस गिरोह की मदद से करोड़ों रुपए की बचत होती है।
डेढ़ महीने पहले मिले अवार्ड पर दाग
छत्तीसगढ़ के जीएसटी विभाग को लगभग डेढ़ महीने पहले ही देश में सबसे बेहतर काम करने के लिए अवार्ड मिला है। बाकायदा अधिकारियों ने इसकी पार्टी मनाई है। उसके समानांतर संगठित तरीके से जीएसटी की चोरी में अफसरों की मिलीभगत दाग लगा रहा है।
इस मामले में विभाग के बड़े अधिकारी से बातचीत में उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरीक़ की शिकायत हुई है जिस पर कवर्धा के एक अधिकारी को वहाँ से हटा दिया है और रायपुर अटैच किया गया है। वहीं मामले में रायपुर जिले के GST अधिकारी तोरण लाल ध्रुव से बात हुई इस पर उन्होंने कहा कि नियमानुसार लगातार कार्यवाही की जा रही है। इस तरह के आरोप मनघड़ंत हैं हम पूरी ईमानदारी से काम कर रहे है।
(नोट: टीम के पास खबर से जुड़े इनपुट के ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड, बिल के सबूत और गाड़ियों की लोडिंग प्वाइंट के लोकेशन मौजूद हैं।)